वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से योगगुरु बाबा रामदेव को दी गयी जमीन लीज रद्द करने के मामले पर पुनर्विचार करने की सलाह दी हैl

शांता कुमार ने मुख्यमंत्री वीरभद्र को भेजे एक पत्र में उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव प्रतिष्ठित योगगुरु हैं तथा देश में भारतीय संस्कृति और प्राचीन योग पद्धति व आयुर्वेद को जनआंदोलन बनाने में उनका योगदान ऐतिहासिक है। शांता कुमार ने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश में औषधियों व जड़ी-बूटियों का अपार भंडार है तथा प्रदेश की आर्थिकी में बढ़ोतरी के अतिरिक्त रामदेव का यह प्रयास स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार उपलब्ध करवाएगा।

उन्होंने कहा कि रामदेव के पतंजलि योगपीठ की आय किसी एक व्यक्ति की जेब में नहीं जाती है। इस सारी आय का उपयोग योग के प्रचार व प्रशिक्षण में किया जा रहा है। भाजपा नेता ने कहा की यह एक अत्यंत उपयोगी रचनात्मक कार्य है तथा ट्रस्ट के कार्यों को व्यावसायिक ठहराना सही नहीं है।

उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री भारतीय संस्कृति व योग परंपरा के प्रबल समर्थक रहे हैं तथा ऐसे अनुभवी नेता कभी भी व्यक्तिगत रूप से इस टकराव के पक्ष में नहीं हो सकते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि जमीन लीज पर देने हेतु कोई तकनीकी कमी रही हो, तो इसे परस्पर बातचीत से सुलझाया जा सकता है।

वंही दूसरी ओर पतंजलि योगपीठ प्रदेश सरकार के लीज रद्द किए जाने के आदेश के बावजूद भी अस्पताल के 27 फरवरी को उद्घाटन की तैयारियां पहले की तरह ही कर रही हैं।

अभी तक साधुपुल (सोलन) में पतंजलि योगपीठ के पहले चरण का निर्माण काफी हद तक पूरा हो गया है और दो मंजिला भवन में इन दिनों फिनिशिंग का कार्य चल रहा है। 1300 वर्गमीटर क्षेत्र में बने इस भवन की पहली मंजिल में स्वागत कक्ष, तीन ओपीडी, दो दवाइयों की दुकानें, स्टोर और एक लैब बनाई गई है, जबकि दूसरी मंजिल में विशाल योग हाल बनाया गया है। इस हाल में करीब दो हजार से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता है। इस भवन के बिलकुल सामने क्रय-विक्रय केंद्र का निर्माण कार्य पूरा हो चुका हैं। करीब 13 बीघा क्षेत्र को ट्रस्ट द्वारा बनाकर तैयार कर दिया गया है। इस क्षेत्र में दो भवनों के अलावा सुंदर गार्डन तैयार किया जा रहा है, जबकि संपर्क मार्ग से एक बेहतरीन सड़क जिसके दोनों तरफ लाइटें लगी हैं। चिकित्सालय भवन को अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार तैयार किया गया है।

प्रदेश सरकार द्वारा इस भवन की लीज को रद्द किए जाने के आदेश जारी कर रखे हैं और जल्द ही जिला प्रशासन इसे अपने कब्जे में भी ले सकता है, लेकिन सरकार के इन आदेशों का कोई भी असर निर्माण कार्यों पर नहीं पड़ रहा है।